CHAK DE

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Khamosh bethte hai to log kehte hai udasi
achchi nahi."
Or
"Zara sa hans le to log muskurane ki wajah puch
lete hai...",,

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सब कुछ किया पर नाम ना हुआ,

महोबत क्यां करली बदनाम हो गए।

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It has taken me my entire life to understand that;

"lt is not required to understand everything."

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तेरी यादों ने बख़्शी है हमें ये ज़िन्दगी वरना ,

बहुत पहले ही हम क़िस्सा-कहानी हो गये होते...!

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पूँछा जो मैंने आज मीठे में क्या है

मुस्कुरा के उसने उंगली अपने होंठों पे रख दी.

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ऊँगलीयां टूट गई,
पत्थर तराशते तराशते..

और
जब बनी
सूरत यार की,
तो खरीददार आ गये !!

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ख़्वाहिशों से नहीं गिरते महज़ फूल झोली में,
कर्म की शाख को हिलाना होगा।

न होगा कुछ कोसने से अंधेरें को,
अपने हिस्से का 'दिया' खुद ही जलाना होगा।

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फिर इश्क़ का जुनूं चढ़ रहा है सिर पे ,

मयख़ाने से कह दो दरवाज़ा खुला रखे !

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न जाने कैसे आग लग गई , बहते हुए पानी में

हमने तो बस कुछ खत बहाऐ थे  उसके नाम के.

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झूठ बोलने का रियाज़ करता हूँ, सुबह और शाम मैं;

सच बोलने की अदा ने हमसे, कई अजीज़ 'यार' छीन लिये।

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जरूरी नहीं जो शायरी करे उसे इश्क ही हो,         

जिंदगी भी कुछ ज़ख्म बेमिसाल देती है.....

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तजुर्बे ने एक बात सिखाई है...

एक नया दर्द ही... पुराने दर्द की दवाई है...!!

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मेरे दिल की तसल्ली के लिऐ
फकत इतना ही काफी है कि

हवा जो तुम्हे छूती है
मै उसमे सांस लेता हूं..

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ये ना पूछ मैं शराबी क्यू हुआ ...

बस यूँ समझ ले गमों के बोझ से नशे की बोतल सस्ती लगी...!

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"लिखो ऐसा की सोचना ना पड़े,

पढो ऐसा की की वापस लिखना ना पड़े"...!

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gham to betaab the bah jaane ko.

usne lipat ke rone ki ijaazat na di

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तेरी सिर्फ एक निगाह ने खरीद लिया हमें....❥

बड़ा गुमान था हमें की हम बिकते नहीं...❥

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इश्क़ ज़ालिम है बड़ा इसकी न पूछो तुम ....  

अच्छे-अच्छो को ठिकाने से लगा देता है  :D

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जब जखमं, जखमं के सामनें मुहं खोलता हैं,

तो भरनें लगता हैं...

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नजर अंदाज करों उन लोगों को.

जो आपकी पीठ पीछे आपके बारे में बातें करते है, 

क्योंकि वे उसी जगह है, जहाँ वे रहने के लायक है,  

'आपके पीछे'

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शायद वो अपना वजूद छोर गया है मेरी हस्ती में यूँ सोते-सोते,

जाग जाना मेरी आदत पहले कभी न थी…
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Chaahat ke parde main nafrat hain mumkin...

tho nafrat ke parde main chaahat bhi hogi.

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काश मैं लौट जाऊँ बचपन की उन गलियों में...  

जहां ना कोई ज़रूरत थी, ना कोई ज़रूरी था..."

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आपको देख कर ये निगाह झुक जायेगी

खामोशी हर बात कह जायेगी

पढ़ लेना इन आंखों मैं अपने प्यार को

आपकी कसम सारी कायनात वहीं रुक जायेगी।

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