Friday, August 1, 2014

[Hindi Jokes] Poem (kavita) 01.08.14

 


CHAK DE

आहिस्ता चल ज़िन्दगी, अभी कई क़र्ज़ चुकाना बाकी है, 
कुछ दर्द मिटाना बाकी है, कुछ फ़र्ज़ निभाना बाकी है; 

रफ्तार में तेरे चलने से कुछ रूठ गए, कुछ छुट गए ;
रूठों को मनाना बाकी है, रोतो को हसाना बाकी है ;

कुछ हसरतें अभी अधूरी है, कुछ काम भी और ज़रूरी है ;
ख्वाइशें जो घुट गयी इस दिल में, उनको दफनाना अभी बाकी है ;

कुछ रिश्ते बनके टूट गए, कुछ जुड़ते जुड़ते छूट गए;
उन टूटे-छूटे रिश्तों के ज़ख्मों को मिटाना बाकी है ;

तू आगे चल में आता हु, क्या छोड़ तुजे जी पाऊंगा ? 
इन साँसों पर हक है जिनका , उनको समझाना बाकी है ;

आहिस्ता चल जिंदगी , अभी कई क़र्ज़ चुकाना बाकी है ।

__._,_.___

Posted by: Mahesh Popat <mahesh_popat@ymail.com>
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