Sunday, January 26, 2014

[Hindi Jokes] True story of natharam

 

पुराने ज़माने की बात है। किसी गाँव में एक शेठ रहेता था। उसका नाम था नाथाराम रबारी शेठ। वो जब भी गाँव के बाज़ार से निकलता था तब लोग उसे नमस्ते या सलाम करते थे , वो उसके जवाब में मुस्कुरा कर अपना सिर हिला देता था और बोहत धीरे से बोलता था की " घर जाकर बोल दूंगा "

एक बार किसी परिचित व्यक्ति ने शेठ को ये बोलते हुवेसुन लिया। तो उसने कुतूहल वश शेठ को पुछ लिया कि शेठजी आप ऐसा क्यों बोलते हो के " घर जाकर बोल दूंगा "

तब शेठ ने उस व्यक्ति को कहा, में पहेले धनवान नहीं था उस समय लोग मुझे 'नाथू ' कहकर बुलाते थे और आज के समय में धनवान हु तो लोग मुझे 'नाथारामजी रबारी शेठ' कहकर बुलाते है। ये इज्जत मुझे नहीं धन को दे रहे है ,

इस लिए में रोज़ घर जाकर तिज़ोरी खोल कर लक्ष्मीजी (धन) को ये बता देता हु कि आज तुमको कितने लोगो ने नमस्ते या सलाम किया। इससे मेरे मन अभिमान या गलतफैमी नहीं आती कि लोग मुझे मान या इज्जत दे रहे है। ... इज्जत सिर्फ पैसे की हैं इंसान की नहीं .........................................

दिल सै

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